Sunday, August 19, 2018

"परिवर्तन"

              मेरे मन मे एक विचार आया कि संसार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात या वस्तु क्या हो सकती है।उत्तर नही मिल रहा था।एकदिन एक अभिन्न मित्र के कार्यालय में बैठा था अचानक दीवार पर टंगे एक चित्र पर नजर गई।चित्र एक धर्म से सम्बंधित था परन्तु पूरी तरह वैज्ञानिक।
        मजाक में मित्र से कह बैठा इसमें सबसे ऊपर आपकी आकृति हो तो कैसा? बात आई गई ,लेकिन बाद में मेरे प्रश्न का उत्तर मुझे उसी चित्र व मेरे प्रश्न से ही मिल गया कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात परिवर्तन है।
            परिवर्तन को हम दो भागों में बाटते है सकारात्मक व नकारात्मक। मेरे विचार से सभी परिवर्तन केवल सकारात्मक ही होते हैं।परिवर्तन यदि हमें अनुकूल लगते हैं तो हम अच्छा समझते हैं नही तो दुखी हो जाते हैं।
             हम परिवर्तन को रोक नहीं सकते व परिवर्तन में कुछ खो बैठते हैं, परन्तु उससे अधिक प्राप्त करते हैं।खोने के गम में प्राप्ति की खुशी पूरी तरह मना नहीं पाते हैं।इसप्रकार हम अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण पल को नष्ट कर देते हैं।
             हमें यह जानना चाहिए कि परिवर्तन से ही विकास होता है।इंसान के विकास का भी यही क्रम है।हम स्थान रिक्त करेंगे तभी हमसे विकसित हमारी ही पीढ़ी हमारा स्थान ग्रहण करेगी।
               हमारे पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हम ईश्वर का ही एक अंश है।मानव के विकास क्रम के अनुसार जीवन सर्वप्रथम जल में पनपा।हमारा प्रथम अवतार भी मत्स्य रूप में हुआ। इसके बाद क्रमशः जंगली जीव अर्ध विकसित मानव ततपश्चात सम्पूर्ण स्वरूप में कृष्ण के रूप में होता है।हमारा ईश्वर भी हर समय पूर्व की अपेक्षा अधिक विकसित स्वरूप में अवतार लेता है।यह परिवर्तन भी विकास को ही इंगित करता है।
           इसीलिए हमें हर परिवर्तन को आत्मसात करके संसार के इस सर्वोत्तम उपहार का आनंद लेना चाहिए, क्योंकि हम इसको रोक नहीं सकते।
          परिवर्तन के कारण ही आज हम हैं कल कोई और होगा।हमी ईश्वर हैं,अर्थात जो हमारा समकालीन सर्वश्रेष्ठ है वही आज का अवतार है।
            मित्र को कही मेरी बात पूरी तरह सही है। विकास के इस क्रम में ऊपर उसका क्रम हो सकता है।
               

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